रामजी।
नाम जाप की विधि???
किसी के सामने भोजन रखा हो और वोह पूछे कि विधि क्या है खाने की तो समझे कि भूक नही है, ऐसे ही नाम जाप क्रिया नही है , आप भगवान की आवश्यकता को महसूस करे, नाम मे क्रिया से ज्यादा भाव का महत्व है , बालक रोता है तो माँ माँ करता है, माँ बोलने में उसका विश्वास माँ शब्द में न होकर माँ के साथ जो उसका संबंध है उसमें ज्यादा होता है, उसके तो ये रहता है कि माँ मेरी है तो मुझे गोद मे लेती क्यों नही,
ऐसे ही हमे जाप करते हुए भगवान मेरे है,और वो मुझे जरूर मिलेंगे इस भाव के साथ जाप करना है, भाव यही की व्याकुलता हर नाम के साथ बढ़ती जाए कि जो सब जगह मौजूद राम मुझे मिलते क्यों नही,
तुलसीदासजी ने कहा,
*बिगड़ी जन्म अनेक की सुधरे अबही आज*,
*होये राम का नाम जप*
*तुलसी तज कु समाज*।
तो जाप की विधि ये ही है कि भगवान का होकर भगवान के नाम का जाप करे, संख्या का महत्व नही है महत्व है जितना भगवान को अपना मानेगे उतना ही जल्दी काम हो जाएगा।।
रामजी।।।
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